स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की नवीनतम आर्थिक रिपोर्ट ने भारतीय अर्थव्यवस्था के उज्ज्वल भविष्य पर मुहर लगा दी है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत वर्ष 2026 तक न केवल अपनी विकास दर को बरकरार रखेगा, बल्कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच एक सुरक्षित और मजबूत आर्थिक द्वीप के रूप में उभरेगा। सरकार की राजकोषीय नीतियों और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के मौद्रिक फैसलों का 'जुगलबंदी' प्रभाव अब धरातल पर दिखाई देने लगा है।
स्टैंडर्ड चार्टर्ड की रिपोर्ट में भारत की इस मजबूती के पीछे तीन प्रमुख कारकों को जिम्मेदार ठहराया गया है:
1. RBI की सक्रिय मौद्रिक नीति
रिजर्व बैंक ने महंगाई और विकास के बीच एक कुशल संतुलन बनाया है। रिपोर्ट बताती है कि समय रहते ब्याज दरों में की गई कटौती ने बाजार में नकदी (Liquidity) के प्रवाह को सुगम बनाया है। इससे न केवल उद्योगों के लिए कर्ज लेना सस्ता हुआ है, बल्कि आम आदमी के लिए होम लोन और ऑटो लोन की ईएमआई का बोझ भी कम हुआ है, जिससे घरेलू मांग में सीधा उछाल आया है।
2. राजकोषीय सुधार और कर राहत
भारत सरकार द्वारा बजट में इनकम टैक्स स्लैब में किए गए बदलावों और जीएसटी (GST) दरों को युक्तिसंगत बनाने के फैसलों ने मध्यम वर्ग की 'डिस्पोजेबल इनकम' (खर्च करने योग्य आय) को बढ़ाया है। रिपोर्ट के अनुसार, जब लोगों के हाथ में अधिक पैसा बचता है, तो वे उपभोग (Consumption) पर अधिक खर्च करते हैं, जो अंततः देश की जीडीपी को गति देता है।
3. महंगाई पर प्रभावी नियंत्रण
भारत के लिए सबसे राहत की बात 'उपभोक्ता मूल्य सूचकांक' (CPI) में गिरावट है। कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में स्थिरता और बेहतर कृषि पैदावार के कारण खाद्य महंगाई कम हुई है। रिपोर्ट का अनुमान है कि 2026 तक महंगाई दर RBI के 4% के मध्यम अवधि के लक्ष्य से भी नीचे रह सकती है, जो एक संतुलित विकास के लिए आदर्श स्थिति है।
वैश्विक प्रतिकूलताओं के बीच 'सेफ हेवन'
आज जब दुनिया के बड़े विकसित देश व्यापारिक युद्ध (Trade Tariffs) और मंदी के डर से जूझ रहे हैं, भारत की अर्थव्यवस्था अंतर्मुखी मजबूती (Internal Strength) का प्रदर्शन कर रही है। बीते कुछ वर्षों में किए गए बुनियादी ढांचागत सुधारों और डिजिटल क्रांति ने भारत को बाहरी झटकों के प्रति लचीला बनाया है।
रिपोर्ट के अनुसार, 2026 में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि 'ब्रॉड-बेस्ड' (व्यापक) होगी। इसका अर्थ है कि विकास का लाभ केवल कॉर्पोरेट जगत या बड़े शहरों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि विनिर्माण (Manufacturing), सेवा (Services) और कृषि (Agriculture) तीनों क्षेत्रों में समान रूप से दिखाई देगा।
चुनौतियां और भविष्य का जोखिम
हालांकि संकेत सकारात्मक हैं, लेकिन स्टैंडर्ड चार्टर्ड ने कुछ संभावित जोखिमों के प्रति भी आगाह किया है:
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वैश्विक व्यापार अवरोध: यदि अमेरिका या चीन के बीच व्यापारिक तनाव और बढ़ता है, तो भारतीय निर्यात पर असर पड़ सकता है।
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कच्चे तेल की कीमतें: किसी नए भू-राजनीतिक संकट के कारण तेल की कीमतों में अचानक उछाल महंगाई का गणित बिगाड़ सकता है।