हाईकोर्ट ने JNU के पूर्व नेता के भाषण को बताया आपत्तिजनक एवं भड़काऊ, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Friday, April 22, 2022

मुंबई, 22 अप्रैल, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस रजनीश भटनागर की बेंच निचली अदालत से जमानत याचिका खारिज होने के खिलाफ उमर की अपील पर सुनवाई कर रही थी। जिसमे दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा की JNU के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद का फरवरी 2020 में CAA/NRC के खिलाफ दिया गया भाषण आपत्तिजनक, भड़काऊ और अस्वीकार्य है। एवं इस मामले में कोर्ट ने  पुलिस से जवाब भी मांगा है। आपको बता दे यह भाषण महाराष्ट्र के अमरावती में दिया गया था। भाषण का ये भाग उस चार्जशीट का हिस्सा है जो उमर और अन्य के खिलाफ पुलिस ने नॉर्थ दिल्ली में 2020 में हुए दंगे के षड्यंत्र केस में दाखिल की है। 

जिसपर खालिद की तरफ से पेश वकील ने कहा की यह सिर्फ एक व्‍यक्ति की राय है और इससे 'भड़काने जैसी बात बिल्‍कुल नहीं' है। इस पर कोर्ट ने पूछा की  क्‍या फ्री स्‍पीच का अधिकार 'आपत्तिजनक बयान' तक जाता है और क्‍या इस पर भारतीय दंड संहिता की धारा 153A और 153B नहीं लगनी चाहिए। हाईकोर्ट ने यह भी कहा की हम यही कह सकते हैं कि पहली नजर में यह स्‍वीकार्य नहीं है। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से इस पर 27 अप्रैल तक जवाब मांगा है।

तो वही कोर्ट ने भाषण का हिस्‍से पढ़ते हुए कहा, 'आप कहते हैं कि आपके पूर्वज अंग्रेजों की दलाली कर रहे थे, आपको नहीं लगता कि यह अपमानजनक है? ऐसा पहली बार नहीं, जब आपने यह बातें भाषण में कहीं। आपने कम से कम पांच बार इन्हीं बातों को दोहराया।' पीठ ने आगे पूछा की क्या आपको नहीं लगता कि इस्तेमाल किए गए ये भाव लोगों के लिए अपमानजनक हैं? यह लगभग ऐसा है जैसे कि भारत की आजादी की लड़ाई केवल एक समुदाय ने लड़ी थी। पीठ ने सवाल उठाया कि क्या गांधी जी या शहीद भगत सिंह जी ने कभी इस भाषा का इस्तेमाल किया था? क्‍या हमें गांधी जी ने यही सिखाया है कि हम लोगों और उनके पूर्वज के लिए इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करें? क्या आपको नहीं लगता कि इससे विभिन्न समुदायों के बीच नफरत पैदा होती है। हाईकोर्ट ने यह भी कहा की हमें फ्री स्‍पीच की इजाजत देने में कोई दिक्‍कत नहीं है, लेकिन आप कह क्‍या रहे हैं?'

यह है पूरा मामला - 

खालिद और अन्य के खिलाफ आतंकवाद विरोधी कानून, गैर कानूनी गतिविधि (रोक) अधिनियम के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। फरवरी 2020 में दिल्ली में हुई दंगे का मास्टरमाइंड होने का आरोप लगाया गया है। दंगे में 53 लोग मारे गए थे और करीब 400 घायल हुए थे। उमर के अलावा, एक्टिविस्ट खालिद सैफी, JNU के छात्र नताशा नरवाल और देवांगना कालिता, जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी मेंबर्स सफोरा जरगर, AAP के पार्षद रहे ताहिर हुसैन पर केस दर्ज किया गया है।
 


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