बिहार दिवस: क्यों मनाते हैं और क्या है इसका इतिहास?
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2010 में बिहार सरकार ने पहली बार इस दिन को खास तरीके से मनाने की पहल की। इसका मकसद लोगों में अपने राज्य के प्रति गर्व और जुड़ाव पैदा करना था।
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बिहार दिवस पर राज्य में सरकारी छुट्टी होती है। स्कूल, कॉलेज, बैंक और सरकारी दफ्तर बंद रहते हैं, ताकि लोग इस दिन को पूरे जोश के साथ मना सकें।
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इस खास मौके पर संस्कृतिक कार्यक्रम, प्रदर्शनी, संगोष्ठी और मेले आयोजित किए जाते हैं, जिनमें बिहार की समृद्ध विरासत को दुनिया के सामने रखा जाता है।
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पटना के गांधी मैदान में बिहार दिवस के मुख्य कार्यक्रम आयोजित होते हैं। यह जगह स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी कई ऐतिहासिक घटनाओं की गवाह रहा है।
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डॉ. राजेंद्र प्रसाद (भारत के पहले राष्ट्रपति) और जयप्रकाश नारायण (समाजवादी नेता) जैसी महान विभूतियों की जन्मस्थली रहा है।
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बिहार प्राचीन काल से ही ज्ञान का केंद्र रहा है। यहां स्थित नालंदा विश्वविद्यालय दुनिया के पहले आवासीय विश्वविद्यालयों में से एक था।
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बिहार बौद्ध और जैन धर्म का महत्वपूर्ण केंद्र है। बोधगया वह स्थान है जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
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बिहार दिवस सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया जैसे कई देशों में रहने वाले बिहारी समुदाय द्वारा भी धूमधाम से मनाया जाता है।
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बिहार की सांस्कृतिक परंपराओं में छठ पूजा का विशेष महत्व है। यह सूर्य देव की आराधना का पर्व है, जिसे पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।
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