नवरात्रि के पावन अवसर पर सोशल मीडिया पर एक तस्वीर और वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि एक मंदिर में पूजा कर रहे पुजारी पर पुलिस ने डंडे बरसाए। पोस्ट में लिखा है कि यह घटना 2025 की नवरात्रि के दौरान हुई है। दावा किया जा रहा है कि सरकार के निर्देश पर मंदिरों को बंद कराया जा रहा है और पुजारियों के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है। लेकिन जब इस वायरल दावे की गहराई से जांच की गई, तो सच कुछ और ही सामने आया। यह तस्वीर और वीडियो वर्तमान की नहीं, बल्कि 5 साल पुरानी यानी वर्ष 2020 की घटना से संबंधित है और इसे फर्जी दावे के साथ दोबारा फैलाया जा रहा है।
क्या है वायरल दावा?
सोशल मीडिया पर कई अकाउंट्स से एक वीडियो और कुछ फोटो शेयर की जा रही हैं, जिनमें एक पुलिसकर्मी को एक बुजुर्ग पुजारी पर लाठी चलाते हुए दिखाया गया है। पोस्ट के साथ लिखा गया है:“देखिए नवरात्रि में मंदिर में पूजा कर रहे पुजारी को कैसे पीटा जा रहा है। क्या यही है भारत की धर्मनिरपेक्षता?” इस पोस्ट को हजारों लोग शेयर कर चुके हैं और बहुत से यूज़र्स ने गुस्से और आक्रोश से भरी टिप्पणियां भी की हैं।
फैक्ट चेक: असलियत क्या है?
हमने इस वायरल दावे की जांच रिवर्स इमेज सर्च और पुराने न्यूज आर्टिकल्स के माध्यम से की। जांच के दौरान पता चला:
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यह वीडियो पहली बार अप्रैल 2020 में सोशल मीडिया पर सामने आया था, जब देश में कोविड-19 लॉकडाउन के सख्त प्रतिबंध लागू थे।
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यह घटना उत्तर प्रदेश के किसी मंदिर की बताई जा रही थी, जहां लॉकडाउन नियमों के उल्लंघन पर पुलिस ने मंदिर परिसर खाली करवाया था।
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उस समय की खबरों में स्पष्ट रूप से बताया गया था कि यह कार्रवाई भीड़ को हटाने और लॉकडाउन के आदेशों का पालन कराने के लिए की गई थी — इसका किसी विशेष धर्म या पूजा से कोई लेना-देना नहीं था।
प्रशासन और पुलिस का क्या कहना है?
स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने वायरल दावे को सिरे से खारिज करते हुए कहा:“यह वीडियो पुराना है। नवरात्रि 2025 से इसका कोई संबंध नहीं है। लोग भ्रामक जानकारी फैला रहे हैं जिससे समाज में सांप्रदायिक तनाव फैल सकता है। ऐसे पोस्ट करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।”
सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़ फैलाने वालों पर सख्ती
वायरल वीडियो को लेकर फैक्ट चेक एजेंसियों और कई स्थानीय प्रशासनिक संस्थानों ने चेतावनी जारी की है कि:
हमारी सलाह: शेयर करने से पहले करें सत्यापन
नवरात्रि जैसे धार्मिक पर्व के दौरान इस तरह की फर्जी खबरें समाज में अविश्वास, भ्रामकता और तनाव को जन्म देती हैं। इसलिए:
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किसी भी फोटो या वीडियो को बिना जांचे शेयर न करें।
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हमेशा भरोसेमंद न्यूज स्रोतों से ही जानकारी लें।
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किसी पोस्ट पर अत्यधिक भावनात्मक भाषा हो तो सतर्क रहें — क्योंकि फेक न्यूज़ अक्सर इसी रणनीति का इस्तेमाल करती है।
निष्कर्ष:
वायरल वीडियो में दिख रही घटना नवरात्रि 2025 की नहीं, बल्कि अप्रैल 2020 की है। यह उस समय के लॉकडाउन के दौरान की गई पुलिस कार्रवाई थी और इसका किसी धार्मिक उत्पीड़न से कोई संबंध नहीं है। यह दावा पूरी तरह फर्जी, भ्रामक और तथ्यहीन है।