27 January 2025 Ka Panchang: 27 जनवरी को माघ कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि और सोमवार का दिन है। त्रयोदशी तिथि सोमवार रात 8 बजकर 35 मिनट तक रहेगी। 27 जनवरी को देर रात 1 बजकर 57 मिनट तक हर्षण योग रहेगा। साथ ही सोमवार सुबह 9 बजकर 2 मिनट तक मूल नक्षत्र रहेगा, उसके बाद पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र लग जाएगा। इसके अलावा 27 जनवरी को सोम प्रदोष व्रत और मास शिवरात्रि का व्रत भी किया जाएगा। आचार्य इंदु प्रकाश से जानिए सोमवार का पंचांग, राहुकाल, शुभ मुहूर्त और सूर्योदय-सूर्यास्त का समय।
श्री सर्वेश्वर पञ्चाङ्गम्
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🚩🔱 धर्मो रक्षति रक्षितः🔱 🚩
🌅पंचांग- 27.01.2025🌅
युगाब्द - 5125
संवत्सर - कालयुक्त
विक्रम संवत् -2081
शाक:- 1946
ऋतु- शिशिर __ उत्तरायण
मास - माघ _ कृष्ण पक्ष
वार - सोमवार
तिथि- त्रयोदशी 20:34:08
नक्षत्र मूल 09:01:14
योग हर्शण 25:55:58*
करण गर 08:49:22
करण वणिज 20:34:08
चन्द्र राशि - धनु
सूर्य राशि - मकर
🚩🌺 आज विशेष 🌺🚩
✍️ प्रदोष व्रत
🍁 अग्रिम (आगामी पर्वोत्सव 🍁
🔅 मौनी अमावस व्रत
. 29 जनवरी 2025
(बुधवार)
🔅 गुप्त नवरात्र प्रारंभ
. 30 जनवरी 2025
(गुरुवार)
🔅 बसंत पंचमी
. 02 फरवरी 2025
(रविवार)
🔅 सूर्य रथ सप्तमी
. 04 फरवरी 2025
(मंगलवार)
🔅 महानवमी, गुप्त नवरात्र पूर्ण
. 06 फरवरी 2025
(गुरूवार)
🔅 जया एकादशी व्रत
. 08 फरवरी 2025
(शनिवार)
🕉️🚩 यतो धर्मस्ततो जयः🚩🕉️
🏵️ मृत्यु लोक से मुक्ति,,, 🏵️
एक बार कैलाश पर्वत पर भगवान शिव और माँ पार्वती बैठे हुए थे। शिव जी ध्यान लगा कर बैठे थे। तभी पार्वती जी ने देखा कि वे मन्द-मन्द मुस्कुरा रहे हैं। पार्वती जी के मन में प्रश्न उठा कि आज महादेव ध्यान मुद्रा में भी क्यों मुस्कुरा रहे हैं। उन्होंने भोले बाबा की समाधी समाप्त होने पर उनसे पूछा – स्वामी मैंने आपको पहली बार समाधी में मुस्कुराते हुए देखा है इसका क्या कारण है। शिव जी ने उन्हें बताया कि उनके एक भक्त और उसकी पत्नी की बातें सुन कर वे मुस्कुरा रहे थे। पूरी बात बताते हुए महादेव ने बताया कि मृत्युलोक में मेरा एक अनन्य भक्त एक ब्राह्मण है जो कि मेरे ही एक मन्दिर में पुजारी है और दिन रात मेरी सेवा में लगा रहता है।
वह इसी मन्दिर के पीछे छोटी सी कुटिया में अपनी पत्नी के साथ रहता है। इसकी पत्नी चाहती है कि उसके पास उसका खुद का घर हो और धन-दौलत हो जिससे वह सुख से अपना जीवन बिता सके परन्तु पुजारी केवल मन्दिर के चढ़ावे पर निर्भर है और मन्दिर में आने वाली दान दक्षिण से बड़ी मुश्किल से उसके घर का खर्च ही चल पाता है। घर और अन्य सुख सुविधा कहां से आयेंगी पर वह दिन रात मेरे से अपनी पत्नी का सपना पूरा करने का अनुग्रह करता रहता है। आज उसकी पत्नी ने उससे ऐसी बात कही जिसे सुनकर मैं मुस्कुराए बगैर नहीं रह सका।
पार्वती जी ने पूछा ऐसा क्या कहा उसकी पत्नी ने जो आपका ध्यान भंग हो गया। शिवजी ने बताया उसकी पत्नी ने आज उसे ताना मारते हुए कहा कि जिन भोले शंकर की तुम दिन रात सेवा करते रहते हो और उनसे मेरे लिए घर मांगते रहते हो उनके पास तो खुद घर नहीं है वे तो खुद कैलास पर्वत पर रहते हैं। तुम्हें कहां से घर देंगे। बस यही बात सुनकर मैं मुस्कुरा रहा था। इस पर पार्वती जी को बड़ा आश्चर्य हुआ उन्होंने कहा स्वामी यह बात सुन कर मुझे बहुत बुरा लगा वह आपको ताना मार रही है और आप मुस्कुरा रहे हैं। आप उसे एक घर और सुख सुविधाएं दे दीजिए जिससे वो आपकी निन्दा न कर सके।
इस पर शिव जी ने कहा पार्वती यह मेरे वश में नहीं है। ये सभी प्राणी तो मृत्युलोक में रहते हैं अपने पिछले जन्म के और साथ ही इस जन्म के कार्मो का फल भोग रहे हैं। और जैसे ही इनके कर्मो का फल इन्हें मिल जाता है। उन्हें सभी प्रकार के सुख मिलना शुरू हो जाते हैं। और अंत में वे मुक्ति पा जाते हैं। इसी लिए इसे मृत्युलोक कहा गया है। मनुष्य बार बार जन्म लेकर अपने कर्मो का हिसाब चुकाता है। यह कर्म भूमि है बिना कर्म के गति नहीं है।
आगे शिव जी ने कहा यह ब्राह्मण पिछले जन्म में एक साहुकार था जो कि लोगों की जमीन, उनके जेवर पशु आदि गिरवी रख कर उन्हें पैसे देता था और उनकी जमीन हड़प लेता था। और जो दूसरों के जेवर और ब्याज में पैसा मिलता था। उसका उपयोग यह उसकी पत्नी भी किया करती थी। इसी कारण आज इस जन्म में इसे घर नहीं मिल सकता और इसकी पत्नी जिसने उन वस्तुओं का उपयोग किया वह भी इसके साथ यह कर्मफल भोग रही है।
इस जन्म में यह मेरी सेवा कर रहा है। जिससे इसके कर्मो के फल में जो कष्ट मिलने थे वे मेरी भक्ति के कारण इसे नहीं मिल रहे हैं। इसका जीवन शांति से कट रहा है पर जब तक इसके कर्मो का हिसाब पूरा नहीं होता इसे घर और अन्य सुविधाएं नहीं मिल सकती। यही विधि का विधान है। पार्वती जी ने कहा यह तो ठीक है। पर उसकी पत्नी जो आपकी निन्दा कर रही है उसका क्या।
तब शिव जी ने कहा संसार में जैसे जैसे कलयुग का समय निकट आता जायेगा। मनुष्य भगवान की भक्ति करने के स्थान पर उनकी निन्दा करने लगेगा यह सृष्टी के आरम्भ में ही लिखा जा चुका है। जो व्यक्ति इस कठिन समय में मेरी सेवा करता रहेगा उसको इस मृत्युलोक से मुक्ति मिल जायेगी…!”
जय जय श्री सीताराम
जय जय श्री ठाकुर जी की
(जानकारी अच्छी लगे तो अपने इष्ट मित्रों को जन हितार्थ अवश्य प्रेषित करें।)
ज्यो.पं.पवन भारद्वाज(मिश्रा)
व्याकरणज्योतिषाचार्य
पुजारी -श्री राधा गोपाल मंदिर
(जयपुर)