मुंबई, 14 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के एडवाइजर मिखाइलो पोडल्यक ने बुधवार को भारत-चीन के लोगों की बौद्धिक क्षमता पर सवाल उठाए। पोडल्यक का बयान रूसी मीडिया स्पुतनिक के एक आर्टिकल में छपा था। इसके मुताबिक, जेलेंस्की के एडवाइजर ने कहा- भारत और चीन के लोग की बौद्धिक क्षमता कम है और वो ये बात नहीं समझ पाते हैं कि उनके एक्शन का क्या परिणाम होगा। पोडल्यक ने आगे कहा, ये देश साइंस में इन्वेस्ट करते हैं। भारत चंद्रयान-3 मिशन से चांद तक पहुंचा, जो अब चंद्रमा की सतह पर ट्रेकिंग कर रहा है। लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि ये देश इस बात को समझ पा रहे हैं कि आधुनिक दुनिया क्या है। भारत और चीन ये तय नहीं कर पा रहे हैं कि यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर उनका क्या रुख है।
वहीं, पोडल्यक के इस बयान पर चीन के विदेश मंत्रालय ने सवाल उठाए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि यूक्रेनी अधिकारी को साफ करना होगा कि इस बयान से उनका क्या मतलब था। उन्हें जंग के संदर्भ में चीन के रुख को सही तरह से समझने की जरूरत है। बयान पर विवाद होने के बाद पोडल्यक ने इस पर सफाई भी दी है। जेलेंस्की के एडवाइजर पर विवाद होने के बाद उन्होंने इस पर सफाई भी दी। उन्होंने कहा- भारत, चीन और तुर्किये दुनिया के विकास में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। ये देश एतिहासिक, आर्थिक, वैज्ञानिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक तौर पर अहम हैं। इन क्षेत्रों में भारत-चीन की भूमिका रूस मुद्दे की तुलना में कहीं ज्यादा अहम है। साथ ही, इससे पहले G20 समिट के दौरान घोषणा पत्र पर सहमित बनने के बाद, जब पूरी दुनिया भारत की तारीफ कर रही थी, तब भी यूक्रेन ने विवादित बयान दिया था। यूक्रेन के विदेश मंत्रालय ने कहा- इसमें कुछ गर्व की बात नहीं है। अगर हम समिट में शामिल होते तो लोगों को हालात के बारे में सही जानकारी मिल पाती।