पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा, धर्म के नाम पर हो रहा अल्पसंख्यकों का कत्ल, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Monday, June 24, 2024

मुंबई, 24 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भी माना है कि उनके देश में अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं हैं। ख्वाजा आसिफ ने कहा कि पाकिस्तान में मजहब के नाम पर लोगों को टार्गेट कर हिंसा की जा रही है और देश उनकी रक्षा करने में विफल रहा है। यह चिंता की बात है। न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट के मुताबिक सोमवार को नेशनल एसेंबली में बोलते हुए ख्वाजा आसिफ ने कहा, पाकिस्तान में लगभग हर दिन अल्पसंख्यकों का कत्ल हो रहा है। वे इस्लाम की छाया में सुरक्षित नहीं हैं। मैं अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के मुद्दे को संबोधित करना चाहता हूं मगर विपक्ष है कि अड़ंगा लगा रहा है। पाकिस्तान की दुनिया भर में इस वजह से बदनामी हो रही है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि संविधान द्वारा संरक्षण के बावजूद इस्लाम से जुड़े छोटे पंथ तक सुरक्षित नहीं हैं। ये शर्मनाक स्थिति है। उन्होंने नेशनल असेंबली में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर एक प्रस्ताव पारित करने की बात कही। आसिफ ने कहा कि किसी एक राज्य में नहीं बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों में यह समस्या आ रही है। कई ऐसे लोग मारे गए जिनका ईशनिंदा से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं था। लेकिन निजी खुन्नस के कारण उन्हें मार दिया गया। रक्षा मंत्री ने कहा कि अहमदिया समुदाय को सबसे ज्यादा समस्या झेलनी पड़ रही है। उन्हें हेट स्पीच से लेकर हिंसक हमलों तक का सामना करना पड़ता है। देश भर में उन्हें सिर्फ उनके विश्वास के लिए शिकार बनाया जाता है। इसी तरह ईसाई समुदाय के लोगों को भी रोजगार, शिक्षा और ईशनिंदा के नाम पर उत्पीड़न झेलना पड़ता है।

ख्वाजा आसिफ ने कहा कि हमें अपने अल्पसंख्यक भाइयों और बहनों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्हें इस देश में रहने का उतना ही अधिकार है जितना बहुसंख्यकों को। पाकिस्तान सभी पाकिस्तानियों का है, चाहे वे मुस्लिम, ईसाई, सिख या किसी अन्य धर्म के हों। हमारा संविधान अल्पसंख्यकों को पूर्ण सुरक्षा की गारंटी देता है। पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट के अनुसार सिख, हिंदू और अन्य अल्पसंख्यकों को जबरन धर्मांतरण, अगवा करने, हत्याओं और धार्मिक स्थल पर हमलों का सामना करना पड़ रहा है। पाकिस्तान में दुनिया का सबसे कड़ा ईशनिंदा कानून है। यहां पर कुरान या पैगम्बर का अपमान करने पर आजीवन कारावास से लेकर मौत की सजा तक हो सकती है। हालांकि मौत की सजा सुनाए जाने के बावजूद देश में किसी को फांसी नहीं मिली है। पाकिस्तान की लोकल मीडिया के मुताबिक 1990 के बाद से अब तक 80 से अधिक को लोगों को ईशनिंदा के आरोप में भीड़ ने मार डाला है। कई बार ऐसा होता है जब कुरान या पैगम्बर के अपमान करने की अफवाह मात्र से किसी भी जगह पर हजारों लोगों की भीड़ जुट जाती है और आरोपी पर हमला बोल देती है।


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