मुंबई, 18 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। म्यांमार की मिलिट्री ने 2021 में तख्तापलट के बाद 1 बिलियन डॉलर यानी 8 हजार करोड़ के हथियार खरीदे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ के एक्सपर्ट के मुताबिक ये खरीद म्यांमार की सेना ने उस पर लगी पाबंदियों के बावजूद की है। ज्यादातर हथियार रूस, चीन और सिंगापुर की कंपनियों से खरीदे गए हैं। वहीं, भारत की कंपनियों से भी म्यांमार की सेना को पिछले 2 सालों में 420 करोड़ के हथियार और उससे जुड़ा सामान मिला है। UN की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बात के पुख्ता सुबूत हैं कि सेना ने इन हथियारों का इस्तेमाल लोगों के खिलाफ हिंसा करने में किया है। इसके बावजूद कुछ देशों ने बिना रुके सेना को हथियार पहुंचाए हैं।
म्यांमार की सेना को हथियार देने के मामले में रूस सबसे आगे है। 2 सालों में रूस ने म्यांमार को 4 हजार करोड़ रुपए के हथियार दिए हैं। वहीं, 2 हजार करोड़ के हथियार उन्हें चीन की तरफ से मिले हैं। रिपोर्ट में दावा किया है कि म्यांमार को हथियार और उन्हें बनाने का सामान पहुंचाने में रूस, चीन और भारत की सरकारी कंपनियां भी शामिल हैं। UN के एक्सपर्ट ने जब अपनी जानकारी इन देशों की सरकारों से साझा की तो रूस और चीन ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। जबकि भारत की सरकार ने कहा कि हथियार देने का समझौता पिछली सरकार में हुआ था। वहीं, 1 बिलियन डॉलर में से 947 मिलियन डॉलर के हथियारों की डील सीधे म्यांमार की सेना से जुड़ी कंपनियों के साथ की गई। इसका मतलब ये है कि हथियार सप्लाई करने वाले देशों को पता था कि वो सीधे वहां की सेना के साथ डील कर रहे हैं।