मुंबई, 22 जुलाई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में मानसून सत्र के दौरान ये जानकारी दी की इस साल जून तक भारत से 87 हजार लोग अपनी नागरिकता छोड़ चुके हैं।। संसद को दिए एक लिखित जवाब में जयशंकर ने कहा, 2011 से लेकर अब तक साढ़े 17 लाख लोग भारतीय नागरिकता छोड़ चुके हैं। इनमें से सबसे ज्यादा लोग अमेरिका जाते हैं। दरअसल, लोकसभा सांसद पी चिंदबरम ने विदेशी मंत्री से सवाल किया था कि पिछले तीन सालों में कितने भारतीयों ने नागरिकता छोड़ी है। इसके बाद उन्होंने किन देशों की नागरिकता हासिल की और क्या नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या 12 सालों में सबसे ज्यादा है।
जयशंकर ने बताया कि पिछले दो दशकों में बड़ी संख्या में भारतीय ग्लोबल वर्कप्लेस की तलाश करते रहे हैं। इनमें से कई लोगों ने अपनी सुविधा के लिए दूसरे देशों की नागरिकता ली। विदेश मंत्री ने बताया कि 2020 में 85 हजार, 2021 में 1.63 लाख और 2022 में 2.25 लाख भारतीयों ने नागरिकता छोड़ी थी। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस मामले में संज्ञान लिया है और मेक इन इंडिया के तहत कई ऐसे प्रयास किए हैं, जिससे देश में रहते हुए ही नागरिकों की प्रतिभा को निखारा जा सके। सरकार ने स्किल और स्टार्टअप्स को भी बढ़ावा दिया है। जयशंकर ने यह भी कहा, विदेश में मौजूद भारतीय समुदाय हमारी संपत्ति है। हम उनसे बेहतर रिश्ते बनाने के लिए लगातार कदम उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने भारतीय प्रवासियों के साथ जुड़ने के लिए कई बदलाव लागू किए हैं। प्रभावशाली प्रवासी भारतीय हमारे लिए एसेट हैं और हम उनके जरिए देश के विकास के लिए कदम उठाते रहेंगे।
तो वहीं, इकोनॉमिक टाइम्स ने विदेश मंत्रालय के हवाले से बताया कि 2021 में अमेरिका गए 7.88 लाख लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ी। वहीं दूसरे नंबर पर ऑस्ट्रेलिया रहा, जहां 23,533 भारतीयों ने नागरिकता छोड़ दी। इसके बाद तीसरे नंबर पर कनाडा और चौथे पर ब्रिटेन रहा। प्रवासी भारतीयों की सुविधा के लिए भी भारत सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। अमेरिका की यात्रा के दौरान PM मोदी ने घोषणा की थी कि H1B वीजा वाले लोगों को अब अपना वर्क वीजा रिन्यू करवाने के लिए कहीं और नहीं जाना पड़ेगा। ये अमेरिका में ही रिन्यू हो जाएंगे। इसके अलावा बेंगलुरु और अहमदाबाद में भी अमेरिकी कॉन्सुलेट ऑफिस खुलने का ऐलान किया गया था।