वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को लेकर वर्षों से विवाद और असंतोष चलता आ रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने नया वक्फ संशोधन विधेयक संसद में पेश किया, जिसे अब 'उम्मीद' (यानी Unified Waqf Management Empowerment, Efficiency & Development) के नाम से जाना जा रहा है। यह बिल 2 अप्रैल को लोकसभा और 3 अप्रैल को राज्यसभा में पारित हुआ, और अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के साथ कानून बन चुका है।
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि इस कानून का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों में हो रहे पक्षपात, दुरुपयोग और अतिक्रमण को रोकना है। हालांकि, विपक्षी दलों ने इस बिल को लेकर तीव्र विरोध दर्ज कराया। लोकसभा में 288 सांसदों ने समर्थन में और 232 ने विरोध में वोट डाले, वहीं राज्यसभा में यह अंतर और भी संकीर्ण रहा - 128 समर्थन में और 95 विरोध में।
आइए जानते हैं इस कानून के अंतर्गत हुए 10 प्रमुख बदलाव:
1. नए धर्मांतरित मुसलमान अब दान नहीं दे सकेंगे
इस बिल के तहत, हाल ही में इस्लाम अपनाने वाले व्यक्ति यानी जिनका धर्म परिवर्तन किए हुए 5 साल से कम हुए हैं, वे वक्फ बोर्ड को अपनी संपत्ति दान में नहीं दे सकेंगे। सरकार का कहना है कि यह प्रावधान संपत्ति के दुरुपयोग को रोकने के लिए लाया गया है।
2. केवल स्वयं के नाम रजिस्टर्ड संपत्ति ही दान योग्य
अब कोई भी व्यक्ति केवल वही संपत्ति वक्फ कर सकेगा, जो कानूनी रूप से उसके नाम पर रजिस्टर्ड हो। इससे विवादित और कब्जाई गई संपत्तियों को वक्फ घोषित किए जाने पर रोक लगेगी।
3. महिलाओं को उत्तराधिकारी मान्यता
यह एक ऐतिहासिक कदम है। अब वक्फ-अल-औलाद के अंतर्गत महिलाओं को भी वक्फ की संपत्ति में उत्तराधिकारी माना जाएगा। पहले यह सुविधा केवल पुरुष वारिसों तक सीमित थी।
4. वक्फ संपत्तियों का डिजिटल ब्यौरा अनिवार्य
वक्फ संपत्तियों का पूरा ब्यौरा अब सरकार के बनाए ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य कर दिया गया है। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और फर्जी दावों पर रोक लगेगी।
5. सरकारी जमीनों पर वक्फ का दावा नहीं
इस बिल के अनुसार, वक्फ बोर्ड अब किसी भी सरकारी जमीन या संपत्ति पर अपना अधिकार नहीं जता सकता। पहले दिन से ही इस तरह की संपत्तियों पर वक्फ अधिकार अमान्य होगा। यह कदम कई विवादों को रोक सकता है।
6. केंद्रीय वक्फ परिषद में विविधता
बिल में यह भी प्रावधान है कि केंद्रीय वक्फ परिषद में अब 2 गैर-मुस्लिम सदस्य और मुस्लिम महिलाएं भी शामिल की जाएंगी। साथ ही, सांसद या पूर्व न्यायाधीश के रूप में नियुक्त व्यक्ति का मुसलमान होना अनिवार्य नहीं होगा।
7. सिया और सुन्नी समुदायों के लिए अलग वक्फ बोर्ड
इस बदलाव के तहत अब सिया और सुन्नी समुदायों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड बनाए जा सकेंगे ताकि दोनों संप्रदायों की संपत्तियों का अलग-अलग प्रबंधन हो सके।
8. वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले पर अपील की सुविधा
पहली बार यह प्रावधान किया गया है कि वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ व्यक्ति 90 दिनों के भीतर रेवेन्यू कोर्ट, सिविल कोर्ट या हाईकोर्ट में अपील कर सकता है। अभी तक यह विकल्प उपलब्ध नहीं था।
9. वक्फ खातों का ऑडिट
अब केंद्र और राज्य सरकारों को वक्फ बोर्ड के खातों का ऑडिट करने का अधिकार होगा। इससे पारदर्शिता आएगी और किसी भी भ्रष्टाचार या आर्थिक गड़बड़ी पर अंकुश लगाया जा सकेगा।
10. वक्फ बोर्ड को संपत्ति दान लेने से इंकार का अधिकार नहीं
इस बदलाव के तहत अब वक्फ बोर्ड किसी भी व्यक्ति द्वारा दी गई दान संपत्ति को मनमाने तरीके से अस्वीकार नहीं कर सकता। उन्हें इसका कारण स्पष्ट रूप से रिकॉर्ड करना होगा।
विपक्ष और मुस्लिम संगठनों की प्रतिक्रियाएं
जहां सरकार इस कानून को 'सुधारात्मक और पारदर्शी' बता रही है, वहीं विपक्षी दलों और कुछ मुस्लिम संगठनों ने इसे मुस्लिम समुदाय के अधिकारों में हस्तक्षेप करार दिया है। AIMIM के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, "सरकार वक्फ की संपत्तियों को नियंत्रित कर मुस्लिम संस्थाओं को कमजोर करना चाहती है।"
निष्कर्ष
वक्फ संशोधन कानून 2024 भारत की अल्पसंख्यक नीतियों और धार्मिक संस्थाओं के संचालन के मामले में एक बड़ा बदलाव है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस कानून के लागू होने के बाद वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन कितना पारदर्शी और विवादमुक्त बन पाता है। आने वाले दिनों में इस पर सामाजिक और कानूनी बहसें जारी रहेंगी।
यह कानून जहां एक ओर पारदर्शिता और जवाबदेही लाने का दावा करता है, वहीं दूसरी ओर समुदाय विशेष के बीच भय और अविश्वास भी पैदा कर रहा है।