मुंबई, 04 दिसंबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सुप्रीम कोर्ट में बधुवार को पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी से जुड़े ED के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सुनवाई हुई। चटर्जी के वकील मुकुल रोहतगी ने जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच से चटर्जी को जमानत देने की मांग की। मुकुल ने दलील देते हुए कहा, चटर्जी को छोड़कर इस मामले के सभी आरोपियों को जमानत मिल चुकी है, एक हफ्ते पहले भी एक आरोपी को जमानत मिली थी। चटर्जी 2.5 साल से जेल में हैं। इस पर बेंच ने कहा, पार्थ चटर्जी को दूसरे आरोपियों के जैसे होने का दावा करने में थोड़ी शर्म आनी चाहिए, क्योंकि वे सभी इसके कारण ही आरोपी हैं। हर कोई मंत्री नहीं होता। पहली बात तो ये कि आप (पार्थ चटर्जी) भ्रष्ट व्यक्ति हैं। आपके घर से करोड़ों रुपए बरामद हुए हैं। आप समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं? क्या इस तरह से भ्रष्ट व्यक्ति को जमानत मिल सकती है?'
बेंच ने कहा कि आप (पार्थ चटर्जी) दूसरों के जैसे व्यवहार की मांग नहीं कर सकते। जांच में देरी और दूसरे पक्ष की भूमिका पर सवाल उठा सकते हैं, लेकिन मामले की योग्यता पर नहीं। सुनवाई के बाद बेंच ने पार्थ की जमानत पर अपना फैसला सुरक्षित रखा लिया। दरअसल, ED ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (WBSSC) शिक्षक भर्ती घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामल में पार्थ चटर्जी को 25 अप्रैल 2023 में गिरफ्तार किया था। 22 जुलाई को पार्थ और उनकी करीबी अर्पिता के 18 ठिकानों से ED ने रेड में 20 करोड़ कैश बरामद किया था। गिरफ्तारी के बाद से ही पार्थ जेल में हैं।