लखनऊ में एनआईए की विशेष अदालत ने एक निर्णायक फैसले में आतिफ मुजफ्फर और मोहम्मद फैसल खान को मौत की सजा दी है। इन्हें कानपुर में सेवानिवृत्त स्कूल प्रिंसिपल राम बाबू शुक्ला की जघन्य हत्या का दोषी पाया गया। इस क्रूर कृत्य के पीछे उनका भयावह उद्देश्य आईएसआईएस के एजेंडे को आगे बढ़ाना था, जिसका उद्देश्य जनता के भीतर व्यापक भय और आतंक पैदा करना था।
अदालत ने दोनों व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत आरोप लगाए हैं, जिनमें धारा 302 (हत्या से संबंधित) और धारा 120 बी (आपराधिक साजिश से संबंधित) शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, उन्हें गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधानों के तहत जवाबदेह ठहराया गया है। इसके अलावा, अदालत ने प्रत्येक दोषी अपराधी पर 5 लाख रुपये का भारी जुर्माना लगाया है। यह अहम फैसला विशेष न्यायाधीश एनआईए कोर्ट दिनेश कुमार मिश्रा ने सुनाया।
यह दुखद घटना 24 अक्टूबर 2016 को हुई, जब कानपुर के स्वामी आत्मप्रकाश ब्रह्मचारी जूनियर हाई स्कूल के सेवानिवृत्त प्रिंसिपल राम बाबू शुक्ला पर घर जाते समय साइकिल से बेरहमी से हमला किया गया और उनकी हत्या कर दी गई। हमलावरों ने कानपुर के प्योंदी गांव के पास हमला किया। इसके बाद नवंबर 2017 में मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपा गया।एक सावधानीपूर्वक और व्यापक जांच के बाद, आतंकवाद विरोधी एजेंसी ने 12 जुलाई, 2018 को दो अपराधियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया।
इस जांच में यह चिंताजनक सच्चाई उजागर हुई कि आरोपी आईएसआईएस की चरमपंथी विचारधारा से कट्टरपंथी हो गए थे।वे ऐसे व्यक्तियों को निशाना बनाने के लिए कृतसंकल्प थे जिन्हें वे अविश्वासी मानते थे। गौरतलब है कि 7 मार्च, 2017 को आतंकवाद निरोधी दस्ते के साथ गोलीबारी के दौरान लखनऊ में तीसरे साथी मोहम्मद सैफुल्ला की दुखद जान चली गई।